SHIV CHAISA - AN OVERVIEW

Shiv chaisa - An Overview

Shiv chaisa - An Overview

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तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥

कीन्ही दया तहं करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

O Lord, Purari, you saved all Deities and mankind by defeating and destroying the demons Tripurasur. You blessed your devotee Bhagirath and he was in a position to perform his Vow immediately after rigorous penance.

देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥

It contains forty verses (chalisa), penned while in the Hindi language. The chalisa Shiv chaisa is structured in a very poetic structure and is greatly recited by devotees as a means to praise and search for blessings from Lord Shiva.

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥

कीन्ह दया तहँ करी सहाई। नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥

सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥ किया तपहिं भागीरथ भारी ।

नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु मम संकट भारी॥

नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीस।

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

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